संतान सप्तमी पर महिलाएं व्रत रखकर सूर्य देवता के साथ भगवान शिव पार्वती की पूजा अर्चना कर संतान की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करेंगी।संतान सप्तमी का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है।ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं।
महिलाएं इस पर्व पर महाप्रसाद आटे और गुड़ की बने 7 पूऐ के साथ बनाती है। तत्पश्चात इस महाप्रसाद को ग्रहण कर व्रत का पालन करती है। संतान सप्तमी को मुक्त भरण सप्तमी भी कहते हैं, संतान सप्तमी के दिन ही अपराजिता पूजा होती है।महालक्ष्मी व्रत के 16 दिन का शुभारंभ संतान सप्तमी के दिन से होता है और यह पितृ पक्ष में महालक्ष्मी पूजा के साथ समाप्त होता है।
संतान सप्तमी का महत्व
संतान सप्तमी का उल्लेख श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर के सामने किया था। संतान सप्तमी व्रत का महत्व लोमश ऋषि ने श्रीकृष्ण के माता-पिता को बताया था। श्री कृष्ण की माता देवकी ने पुत्र के शौक से उभरने के लिए संतान सप्तमी व्रत किया था।
शुभ मुहूर्त
संतान सप्तमी सोमवार को रात 9:53 पर शुरू होगा और यह मंगलवार को रात 11:11 तक रहेगा।पंचांग के आधार पर संतान सप्तमी 10 सितंबर 2024, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। ऐसे में जो लोग व्रत रखना चाहते हैं, वे 10 सितंबर को ही व्रत रखें।
कैसे करें पूजा
इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने,और व्रत के संकल्प के साथ गुड़ और आटे को मिलाकर सात -सात पुवा खीर आदि तैयार करें एवं भगवान शिव के परिवार का चित्र रखकर कलश की स्थापना करें। चांदी का कड़ा, धागा, लौंग, कपूर, सुपारी, सुहाग का सामान रखकर विधि विधान से भगवान की पूजा करें।
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