यूट्यूब ने एल्गोरिथम में बड़ा बदलाव कर अब किशोरों के लिए जो वीडियो आदर्श शरीर और आक्रामकता को दिखाते हैं ऐसी वीडियो की सिफारिशे नहीं करेगा।
हालांकि यूट्यूब में अब भी 13 से 17 साल के किशोर जो ऐसे वीडियो देखना चाहते हैं वह देख सकते हैं पर वह एक ही कैटेगरी के वीडियो बार-बार देखने के लिए प्रेरित नहीं होंगे।
जैसा कि आम तौर पर देखा गया है कि यूट्यूब में जब हम वीडियो देखते हैं तो उसका एल्गोरिथम समाप्त होने के बाद यूजर्स को सामान कंटेंट की सिफारिश करता है और उस वीडियो से संबंधित वीडियो को साइड बार में दिखता है। अब यूट्यूब का एल्गोरिथम बदलने के बाद यह सुविधा किशोरों के लिए तब उपलब्ध नहीं होगी जब वह कुछ विशेष प्रकार के वीडियो देखेंगे जैसे की खास प्रकार के बॉडी बनाना या फिटनेस स्तर को आदर्श दिखाता हुआ वीडियो, ऐसे वीडियो जो आक्रामकता और हिंसा को प्रोत्साहित करते हो, जो वीडियो शारीरिक तुलना करते हो विशेषताओं की।
यूट्यूब का नया एल्गोरिथम केवल तभी काम करेगा जब किशोर अपना सही उम्र के साथ लॉग इन करेंगे। यूट्यूब के अनुसार किशोर वयस्कों की तुलना में जल्दी प्रभावित हो जाते हैं आमतौर पर जब वह बार-बार आदर्श वीडियो को देखते हैं।
यूट्यूब नें कहां है कि उसने एल्गोरिथम बदलने का निर्णय विशेषज्ञों की सलाह पर लिया है। यूट्यूब यह मानता है कि बार-बार ऐसे वीडियो देखने से किशोर पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है, जैसे कि किशोरों के मन में खुद के लिए गलत सोच पैदा हो सकती है। अमेरिका और यूरोप समेत पूरी दुनिया में मांग की जा रही थी कि वे अपने एल्गोरिथम में बदलाव करें ताकि बच्चों को आक्रामक सामग्री से दूर रखा जा सके।
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