डिजिटल अरेस्ट मतलब की एक ऐसा वीडियो कॉल जिसके जरिए किसी को गिरफ्तारी का डर दिखाकर संबंधित व्यक्ति को उसके घर में कैद करके फिरौती वसूलना।
समझने वाली बात यह है कि इसमें पढ़ी-लिखे वर्ग शिकार बनते हैं जैसे डॉक्टर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, आर्मी अफसर, आईआईटी प्रोफेसर जैसे उच्च शिक्षित लोग शामिल हैं। इस तरह की साजिश दुबई में बैठे मास्टरमाइंड कर रहे हैं और लगभग इस तरह का केस उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा समेत कई राज्यों से रोज आ रहे हैं।
यूपी एसटीएफ नें 6 लोगों को पकड़ा तो उन्होंने बताया की सभी मामलों में सरकारी खाते बता कर जिन खातों में पैसे ट्रांसफर करवाते हैं वह आम लोगों के बैंक खाते हैं, और दुबई में बैठे साइबर अपराधियों के नियंत्रण में है। उनसे कड़ी पूछताछ में खुलासा किया की ऑनलाइन गेमिंग या ट्रेडिंग का कमीशन उनके खातों में आएगा बोलकर और ट्रांजैक्शन राशि का 10% मिलेगा, बाद में उनके खातों से पैसा दुबई में डिजिटल ट्रांसफर हो जाएगा। दुबई में बैठे साइबर अपराधियों ने पैसे को क्रिप्टो करेंसी में निवेश किया।
डिजिटल अरेस्ट में ये पैंतरे भी
*साइबर अपराधी धारा प्रवाह अंग्रेजी में बात करते हैं
*जिस भी एजेंसी के अवसर को कॉल ट्रांसफर करते हैं उसके बैक ड्रॉप पर एजेंसी का लोगो दिखता है
*वीडियो कॉलिंग के दौरान आईडी कार्ड दिखाते हैं
*डिजिटल अरेस्ट के दौरान प्रदर्शित सेटअप भी कोर्ट रूम का होता है,इसलिए लोग विश्वास कर लेते हैं
साइबर क्राइम से जुड़े एक अफसर बताते हैं की ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति और रिटायर्ड लोग कानून का सम्मान अधिक करते हैं और इन साइबर अपराधियों को असली अफसर मान लेते हैं।
1930 पर कॉल करें और ऐसे बचें
*अपने फोन, लैपटॉप और डेस्कटॉप के पासवर्ड व सॉफ्टवेयर अपडेट रखें।
*अनजान नंबरों से आई वीडियो कॉल से अगर ठगी का अंदेशा हो तो नंबर ब्लॉक करके साइबर अपराध निरोधक सेल को सूचित करें।
*सहायता के लिए तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www. cybercrime.gov.in पर जानकारी दें।
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